अरविंद केजरीवाल के बारे में ये 10 बातें उन्हें 'आम आदमी' से खास बनाती हैं



अरविंद केजरीवाल (Arvind Kejriwal) दूसरी बार दिल्ली का मुख्यमंत्री बनने की तमन्ना लेकर लोगों के बीच चुनाव प्रचार कर रहे हैं. वो लोगों से अपने काम के आधार पर वोट मांग रहे हैं. केजरीवाल भारतीय राजनीति में सबसे तेजी से उभरे राजनेताओं में से एक हैं जिनका बड़ा वोट बेस है


1- शानदार संगठनकर्ता

अरविंद केजरीवाल बेहतरीन संगठनकर्ता हैं. अन्ना आंदोलन में उनके करीबी रहे लोगों के मुताबिक उस मूवमेंट का चेहरा भले अन्ना हजारे थे, लेकिन पर्दे के पीछे सारी तैयारी अरविंद केजरीवाल ने ही की थी. उस समय इंडिया अगेंस्ट करप्शन के तहत जितने भी लोग यूपीए सरकार के खिलाफ दिखाई दे रहे थे उन्हें अरविंद केजरीवाल ही एक मंच पर लेकर आए थे. यूपीए सरकार के भ्रष्टाचार के खिलाफ एक आंदोलन को देशव्यापी रूप देने में भी अरविंद केजरीवाल की बड़ी भूमिका थी. अन्ना हजारे अनशन पर बैठते थे और अरविंद केजरीवाल इस बात का पूरा प्रबंधन करते थे कि कैसे उसे बड़ा बनाया जाए.
2- बेहतरीन समन्वयकारी

अरविंद केजरीवाल आम आदमी पार्टी के गठन के साथ ही उसके समन्वयक बनाए गए थे. 2012 में पार्टी के गठन के बाद ही दिल्ली में चुनाव हुए और पहले ही चुनाव में पार्टी 28 सीटें जीती थी. इसके बाद से लगातार केजरीवाल पार्टी के समन्वयक बने हुए हैं. केजरीवाल के नेतृत्व में पार्टी का विस्तार लगातार हुआ है. दिल्ली और पंजाब में पार्टी की गहरी पैठ है. पंजाब के पहले ही चुनाव में आम आदमी पार्टी को शानदार सफलता हासिल हुई थी. हालांकि पार्टी ने ज्यादा बड़ा क्लेम किया था लेकिन पहले ही चुनाव में पंजाब से 22 विधायकों का जीतना भी अरविंद केजरीवाल की लोकप्रियता को प्रदर्शित कर रहा था. माना जाता है कि अगर चुनाव के पहले पार्टी के भीतर फूट नहीं पड़ी होती तो शायद आप ने पंजाब में और बेहतर प्रदर्शन किया होता.


3- वायदों को पूरा करने की छवि

  1. केजरीवाल की छवि दिल्ली में एक ऐसे नेता के तौर पर है जो अपने वायदों को पूरा करता है. राज्य में बिजली और पानी फ्री किए जाने को लेकर भी अरविंद केजरीवाल की तारीफ उनके वोट बैंक के बीच की जाती है. इसके अलावा मोहल्ला क्लीनिक समेत सीसीटीवी और सरकारी स्कूलों को बेहतर बनाने के केजरीवाल के प्रयास की तारीफ की जाती है.

4- बौद्धिक वर्ग का भी समर्थन

अरविंद केजरीवाल की राजनीति की खास बात मानी जाती है कि उन्हें देश के बड़े बौद्धिक वर्ग का भी समर्थन हासिल है. केजरीवाल की जनसरोकारी नीतियों का समर्थन समय-समय पर देश के कई बड़े विद्वान करते रहे हैं. जब आम आदमी पार्टी का गठन हुआ था तब प्रोफेसर आनंद कुमार और योगेंद्र यादव के नेतृत्व में समाजवादी प्रभाव का एक बड़ा वर्ग भी अरविंद केजरीवाल के साथ जुड़ा था.

5- ब्यूरोक्रेसी की समझ


अरविंद केजरीवाल खुद एक आईआरएस अधिकारी रह चुके हैं. ऐसे में माना जाता है कि उन्हें ब्यूरोक्रेसी के भीतर की अच्छी समझ है. हालांकि दिल्ली का मुख्यमंत्री बनने के बाद ब्यूरोक्रेसी के साथ उनका विवाद भी हुआ. मुख्य सचिव अंशू प्रकाश के साथ विवाद तो लंबे समय तक चर्चा में रहा. लेकिन माना जाता है कि इस विवाद के बाद अरविंद केजरीवाल ने अधिकारी वर्ग के साथ बेहतर तालमेल बनाकर काम करने की कोशिश की है और शायद इसी का नतीजा है कि बीते साल ऐसे किसी विवाद की आहट नहीं सुनाई नहीं दी.

6- गांधी के स्वराज पर लिखी किताब 

साल 2009 में अरविंद केजरीवाल ने एक किताब लिखी थी जिसका नाम था स्वराज. इस किताब को महात्मा गांधी की किताब हिंद स्वराज के तर्ज पर लिखा गया था. इस किताब का केंद्रबिंदु यह था कि सत्ता का हस्तांतरण नई दिल्ली और राज्य की राजधानियों में बैठे कुछ लोगों के बजाए ग्राम सभा और मोहल्ला सभाओं में किया जाए. अरविंद केजरीवाल का मानना है कि इससे देश का विकास ज्यादा तेज और बेहतर दिशा में हो पाएगा.

7- साहसिक छवि के नेता

अरविंद केजरीवाल की छवि एक राजनीतिक रूप से साहसी नेता की भी बनकर उभरी थी. जब पहली बार अरविंद केजरीवाल दिल्ली विधानसभा का चुनाव लड़ रहे थे तब उन्होंने शीला दीक्षित के खिलाफ चुनाव लड़ा था. तीन बार दिल्ली की मुख्यमंत्री रह चुकीं शीला दीक्षित को अरविंद केजरीवाल ने 22 हजार वोटों से चुनाव हरा दिया था. ये दिल्ली के चुनावी इतिहास के सबसे बड़े राजनीतिक उलटफेरों में से एक माना जाता है. इसके बाद अरविंद केजरीवाल ने 2014 में वाराणसी से नरेंद्रमोदी के खिलाफ भी चुनाव लड़ा था. हालांकि ये चुनाव अरविंद केजरीवाल हार गए थे. लेकिन राजनीतिक प्रतिद्वंद्वियों को टक्कर देने की उनकी कला की तारीफ की जाती है.

8- मनीष सिसोदिया के साथ ट्यूनिंग

भारतीय राजनीति में दो नेताओं का जोड़ अक्सर देखा जाता है. पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी और लाल कृष्ण आडवाणी की जोड़ी हो या फिर वर्तमान पीएम नरेंद्र मोदी और गृह मंत्री अमित शाह की जोड़ी, दोनों ही राजनीतिक रूप से बेहद सफल जोड़ियां मानी जाती हैं. दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल और मनीष सिसोदिया की जोड़ी भी कुछ ऐसी मानी जाती है. दोनों अन्ना आंदोलन के समय से ही साथ दिखाई देते हैं. दोनों की बेहतरीन ट्यूनिंग की वजह से ही दिल्ली में 'आप' अपना वोट बेस बेहतर तैयार कर पाई है. वक्त के साथ अरविंद केजरीवाल के कई नजदीकियों ने साथ भी छोड़ा लेकिन मनीष सिसोदिया हमेशा उनके साथ साए की तरह नजर आते रहे.

9- सामाजिक कार्यकर्ता की रही है छवि

दिल्ली का मुख्यमंत्री बनने के पहले अरविंद केजरीवाल की छवि बड़े सामाजिक कार्यकर्ता की रही है. उन्हें एशिया का नोबेल कहे जाने वाले रैमन मैग्सेसे पुरस्कार से सम्मानित किया जा चुका है.

10-सरकारी स्कूलों को बेहतर बनाने का कदम

अरविंद केजरीवाल हाल-फिलहाल की राजनीति में शायद पहले नेता हैं जिन्होंने सरकारी शिक्षा पर सबसे ज्यादा ध्यान केंद्रित किया है. दिल्ली के सरकारी स्कूलों में उनकी सरकार द्वारा शुरू किए गए प्रयासों की देशभर में तारीफ की जाती है. केजरीवाल अपनी इस योजना पर सबसे ज्यादा ध्यान केंद्रित करते हैं और शायद उनकी कामयाबी के पीछे इसका बहुत बड़ा हाथ है.

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